भारतीय छात्रों को पसंद आ रहा ब्रिटेन, 2019 में 93% अधिक छात्रों को मिला एजुकेशन वीजा, वजह; कम फीस और बेहतर शिक्षा

भारतीयों को ब्रिटेन काफी पसंद आ रहा है। पढ़ाई, नौकरी और घूमने के लिए भारतीय ब्रिटेन का रुख कर रहे हैँ। पढाई के लिए ब्रिटेन जाने वाले भारतीय छात्रों का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 93 फीसदी बढ़ा है। 2019 में 37,540 भारतीय छात्रों को स्टडी वीजा दिया गया है जबकि 2018 में यह आंकड़ा 19,479 था। यूके इमिग्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, पढ़ाई के अलावा जॉब से लिहाज से ब्रिटेन पहुंचने वाले भारतीयों की संख्या में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है। 2019 में वर्क परमिट का आंकड़ा बढ़कर 57,199 पहुंच गया है। 


8 सालों में सबसे ज्यादा वीजा भारतीय छात्रों को मिला
आने वाले सालों में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है क्योंकि ग्रेजुएट इमिग्रेशन रूट (जीआईआर) के तहत, हाल ही में ब्रिटेन ने फॉरेन स्टूडेंट के लिए 2 दो साल के पोस्ट स्टडी वर्क परमिट वीजा की शुरुआत की है। 2021 में ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स इसके लिए अप्लाय कर सकेंगे। ब्रिटिश उच्चायुक्त के मुताबिक, पिछले 8 सालों में भारतीय स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा वीजा जारी किया गया है। 2016 से अब तक ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 


ब्रिटेन में क्यों बढ़ी भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या
विशेषज्ञों के मुताबिक, आंकड़ों में बढ़ोतरी 2020 में भी जारी रहेगी, इसकी तीन बड़ी वजह हैं- 



  • पहली, अक्टूबर 2019 में ग्रेजुएट इमिग्रेशन रूट की घोषणा हुई थी। जिसकी मदद से विदेशी छात्रों को 2021 से पोस्ट-स्टडी परमिट मिलेगा। 

  • दूसरी, विदेशी छात्रों के लिए अमेरिका के मुकाबले, ब्रिटेन में पढ़ना ज्यादा बजट फ्रेंडली और सस्ता है। फ्रीस स्ट्रक्चर भी यहां का ज्यादा बेहतर है।

  • तीसरा, भारत में मैनेजमेंट के टॉप स्कूलों की फीस में साल दर साल तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 


  • भारतीयों के टूरिस्ट वीजे में 8 फीसदी बढ़ोतरी


    सिर्फ पढाई या नौकरी के लिए ही नहीं, भारतीयों का ब्रिटेन में घूमने का ट्रेंड भी बढ़ रहा है। 2019 में 515,000 भारतीयों ने ब्रिटेन का वीजा किया गया है। 2018 की तुलना में 8 फीसदी अधिक टूरिस्ट ब्रिटेन की खूबसूरती से रूबरू होने पहुंचे। 


    ऑस्ट्रेलिया सरकार के मुताबिक, सिर्फ यहां पढ़ाई के लिए आने वाले 57 फीसदी छात्र चीन, भारत, नेपाल, ब्राजील और वियतनाम से आते हैं। इसमें 28 फीसदी चीन और 15 फीसदी भारत से हैं।